2018-10-02 15:51:24
अंधे को मंदिर आया देख
लोग हँसकर बोले –
“मंदिर में दर्शन के लिए आए तो हो,
पर क्या भगवान को देख पाओगे?”
अंधे ने कहा -“क्या फर्क पड़ता है,
मेरा भगवान तो
मुझे देख लेगा.”
द्रष्टि नहीं द्रष्टिकोण सकारात्मक होना चाहिए।
💐💐 सुप्रभात 💐💐