2017-01-20 08:26:31
ठोकरें ख़ाता हूँ ….पर “शान” से
चलता हूँ।
मैं खुले आसमान के नीचे …सीना
तान के चलता हूँ।
मुश्किलें तो आएँगी ही ज़िंदगी
में
“आने दो-आने दो”…..
उठूंगा, गिरूंगा फिर उठूंगा
और आखिर में “जीतूंगा ….ये मैं
“ठान” के चलता हूँ! Good morning🙏