2018-08-14 21:58:10
“ढोल धर्म दया का पूत
संतोष थाप रखिया जिन सुत ।।”
आज के संसार मे दया मिटती जा रही है जब दया ही नही तो धर्म किदर ?
Dharm गया तो सन्तुष्टी अपने आप चले गयी ।
इस को इस तरह जोड़िये —
जिदर दया है उदर ,उदर सेवा है ,
जिदर सेवा है उदर धर्म है ,जिदर धर्म है ,उदर संतुष्टी है ,जिदर संतुस्ती है उदर सिमरन है,जिदर सिमरन है;
उदर परमात्मा आप है ।
Good morning😊