अंधे को मंदिर आया


अंधे को मंदिर आया देख
लोग हँसकर बोले –
“मंदिर में दर्शन के लिए आए तो हो,
पर क्या भगवान को देख पाओगे?”

अंधे ने कहा -“क्या फर्क पड़ता है,
मेरा भगवान तो
मुझे देख लेगा.”

द्रष्टि नहीं द्रष्टिकोण सकारात्मक होना चाहिए।
💐💐 सुप्रभात 💐💐


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