कभी कवल कभी गुलाब


कभी कवल कभी गुलाब लगती हो
जानेमन बहारो का ख्वाब लगती हो
बिन पिए बहकते है मेरे कदम
तेरी गली की हवा भी अब शराब लगती है.


Tags : love