कुछ तबियत ही मिली
कुछ तबियत ही मिली थी ऐसी
चैन से जीने की सूरत न हुई
जिसे चाहा उसे अपना न सके
जो मिला उस से मुहब्बत न हुई.
चैन से जीने की सूरत न हुई
जिसे चाहा उसे अपना न सके
जो मिला उस से मुहब्बत न हुई.
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