खुशियाँ उतनी ही अच्छी,


खुशियाँ उतनी ही अच्छी, जितनी मुट्ठियों मे समा जाए…
छलकती, बिखरती खुशियो को.. अक्सर नजर लग जाया करती हैं…

मुस्कुराओ….क्योंकि यह मनुष्य होने की पहली शर्त है.
एक पशु कभी मुस्कुरा नहीं सकता है.


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