भरी महफिल में तनहा


भरी महफिल में तनहा रहना अच्छा लगता है,
तेरे बारे में सोचते रहना अच्छा लगता है,
कभी फूल में कभी कलियों में,
तुझकों ही ढूँढते रहना अच्छा लगता है,
मेरी जिन्दगी की खुशीयाँ तुमहीं से है वाबसता,
रब से बस तुम्हें ही माँगना अच्छा लगता है,
तुम्हारे बगैर जिन्दगी का कोई तस्वुर नहीं है,
कुछ इस तरह तुम्हारी तमन्ना करना अच्छा लगता है,
तुम ही को चाहा, तुम ही को चाहते है,
तुम ही को चाहते रहना अच्छा लगता है,


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