मुझे अपनी नाज़ुक बाहों


मुझे अपनी नाज़ुक बाहों मे बिखर जाने दो…
बदन को मेरे अपनी साँसों की खुशबु से महक जाने दो…

हशरते–इ-अरमान दिल में मेरे बहुत हैं…
तुम यूँ ही रहो बाँहों में मेरी,
सीने में अपने उतर जाने दो…
छोड़ दो दामन तुम भी शर्म_ओ_हया का…
दिल से दिल,रूह को रूह में समां जाने दो….

माथे की बिंदिया, नैनो का काजल,
होंठो की लाली इन सब ने मुझे सताया बहुत हैं…
आज बनकर बादल मुझे इन पर बरश जाने दो….


Tags : romantic