मेरी जिंदगी को तमाशा
मेरी जिंदगी को तमाशा बना दिया उसने,
भरी महफ़िल में तनहा बिठा दिया उसने,
ऐसी क्या थी नफरत उसको इस मासूम दिल से,,
खुशियाँ चुराकर गम थमा दिया उसने,
बहुत नाज़ था उसकी वफ़ा पर कभी हमको….
मुझको ही मेरी नज़रों में गिरा दिया उसने,
खुद बेवफा था मेरी वफ़ा की क्या कदर करता….!
अनमोल थी मै और खाक में में मिला दिया उसने ..