मैंनें हमेशा और हरदम


मैंनें हमेशा और हरदम ही चाहा है तुम्हें तुमने माना या नहीं, मैंने सराहा है तुम्हें यूं ही साथ चलते चलते शाम ए हयात आएगी अपने बिछडने का पैगाम साथ लाएगी


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