युँही बे सबाब ना युँही बे सबाब ना फिरा करो, कोई शाम घर भी रहा करो.. वो गज़ल की सच्ची किताब है, उसे छुपके-छुपके पड़ा करो.. मुझे इश्तिहार सी लगती हैं.. ये महोब्बतों की कहनीयाँ.. जो सुना नहीं वो कहा करो.. जो कहा नहीं वो सुना करो.. Shayari FunnyTube 6 years ago Tags : friendship