यूँ तो कई बार


यूँ तो कई बार भीगे बारिश में,
मगर ख्यालों का आँगन सूखा ही रहा,
जब आँखों की दीवारें गीली हुई उसकी यादो से,
तब ही जाना हम ने बारीश क्या होती है..


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