वफा के वादे वो


वफा के वादे वो सारे भूला गया चुप-चाप…

वो मेरे दिल की दिवारें हिला गया चुप-चाप…

ना जाने कौन सा वो बद-नसीब लम्हा था,

जो गम की आग में मुझ को जला गया चुप-चाप…

गम-ऐ-हयात के तपते हुए बया-बांन में..

हमें वो छोड के चला गया चुप-चाप…

मैं जिसको छुता हुँ वो जख्म देता…


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