वो जिद्दी था बहुत


वो जिद्दी था बहुत मगर.!
मेरी इल्तिजाओं पे मान जाता था.. !
मेरी हर बात पे वो इनकार करता. !
मगर मेरी जिद्द पे वो हार जाता था.. !
वो मुझको हमेशा अजनबी ही कहता था.. !
मगर दोस्तों की तरह ही रखता था.. !
मेरी हँसी उसे बुरी लगती थी.. !
मगर मुझे वो रोता भी नहीं देख सकता था.. !
जिस के इंतजार में खुद को भुला दिया.. !
वो हमेशा मुझ पागल कहा करता था.. !


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