वो बन के खुश्बू
वो बन के खुश्बू बसता है मेरी साँसों में,
वो बन के हर्फ रहता है मेरे अलफाज़ो में,
कैसे कह दूँ तनहाँ बसर होती है मेरी जिन्दगी,
वो बन के साया चलता है मेरी राहों में,
थक कर जब भी बंद हो जाती है आँखे मेरी,
वो बन के राहत आता है मेरे ख्वाबो में,
इम्तिहान दर इम्दिहान लेता है मेरा, ये जमाना,
वो बन के हिम्मत आ जाता है मेरे इरादों में,
उसकी चाहत सितारे सजाती है आसमान में मेरे,
वो बन के चाँद चमकता है मेरी रातों में …