🍛🍛🍛🍛🍛🍛🍛🍛🍛🍛 इतना लो थाली में
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इतना लो थाली में
व्यर्थ ना जाए नाली मे
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👦मैंने पूछा – ‘‘गुरुदेव,
कहा जाता है कि जूठन छोड़ना पाप है,
फिर भी बहुत लोग जूठन छोड़ते हैं ?
ऐसा क्यों?’’
👳गुरुजी- ‘‘बेटा !
आजकल,
अन्न हम पैसे से खरीदते हैं।
इसलिये लोग उसकी तुलना पैसे से करते हैं।
जूठन छोड़ देते हैं और उसे फेंक देते हैं।
किन्तु यह वास्तविकता नहीं है।
पैसे से अन्न खरीदा नहीं जा सकता ।
अन्न धरती माता अपनी छाती चीर कर देती है।
कोई उसका अपमान करता है, तो धरती माँ दुःखी होती है और दूसरे जन्म में उसे अन्न
के लिये तरसाती है । 👉👉अन्न का अपमान करने वालों को दंड देने के लिये प्रकृति उनके शरीर में रोग उत्पन्न कर देती है । 👹पैसे होते हुए भी विभिन्न प्रकार के पेट के रोगों के कारण अन्न न खा पाते है न पचा पाते है।
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🌷जर्मनी जैसे पश्चिमी देशों में यदि कोई जूठन छोड़ता है तो उसे 50$ फाइन देना पड़ता है।
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🙌 आज से हम संकल्प लेते क़ि हम थाली में जूठन नहीं छोड़ेंगे और अपने परिवार, मित्रों और रिश्तेदारों को अन्न बचाओ अभियान के लिए प्रेरित करेंगे । 🙌
🍪अन्न ही जीवन है । 🍪
क्या आप अन्न के
🍪🍪🍪🍪🍪🍪🍪🍪🍪🍪
बहूत बढिया संदेश है। अनुमोदना करने योग्य है।
धन्यवाद।
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Jai shree radhey shyam 🌹 🙏