​*हरिवंशराय बच्चनजी की सुन्दर


​*हरिवंशराय बच्चनजी की सुन्दर कविता*
अगर बिकी तेरी *दोस्ती*

तो पहले *ख़रीददार* हम होंगे …
तुझे ख़बर न होगी तेरी *क़ीमत*

पर तुझे पाकर सबसे *अमीर* हम होंगे
दोस्त साथ हो तो रोने में भी *शान* है

दोस्त ना हो तो *महफिल भी *श्मशान* है
सारा खेल दोस्ती का है ऐ मेरे *दोस्त*

वरना *जनाजा और बारात* एक ही समान है
🌹🙏*सारे दोस्तो को समर्पित* 🙏🌹


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