‘भरोसा’ करते ‘वक्त़’ ‘होशियार’ रहिये


‘भरोसा’ करते ‘वक्त़’
‘होशियार’ रहिये . . .
क्योंकि ‘नमक’ और ‘शक्कर’
‘एक’ जैसे ही ‘नज़र’ आते हैं


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