“ढोल धर्म दया का
“ढोल धर्म दया का पूत
संतोष थाप रखिया जिन सुत ।।”
आज के संसार मे दया मिटती जा रही है जब दया ही नही तो धर्म किदर ?
Dharm गया तो सन्तुष्टी अपने आप चले गयी ।
इस को इस तरह जोड़िये —
जिदर दया है उदर ,उदर सेवा है ,
जिदर सेवा है उदर धर्म है ,जिदर धर्म है ,उदर संतुष्टी है ,जिदर संतुस्ती है उदर सिमरन है,जिदर सिमरन है;
उदर परमात्मा आप है ।
Good morning😊