“साहिल पे बैठे यूँ
“साहिल पे बैठे यूँ सोचता हुं आज,
कौन ज़्यादा मजबूर है….?
ये किनारा, जो चल नहीं सकता,
या वो लहर, जो ठहर नहीं सकती…!!!”
*उनकी ‘परवाह’ मत करो,*
*जिनका ‘विश्वास’*
*”वक्त” के साथ बदल जाये..*
*’परवाह’*
*सदा ‘उनकी’ करो;*
*जिनका ‘विश्वास’ आप पर*
*”तब भी” रहे’*
*जब आप का “वक्त बदल” जाये.* शुभ प्रभात 😏