‪🌹☘☘☘☘☘☘☘🌹 *इज्जत और तारीफ* *मांगी नही


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*इज्जत और तारीफ*
*मांगी नही जाती है*
*कमाई जाती है*

*नेत्र केवल दृष्टि प्रदान*
*करते है*
*परंतु हम कहाँ क्या देखते है*
*यह हमारे मन की भावना*
*पर निर्भर है*
*ओम नागदा सीसारमा*
🌹🌿जय श्री कृष्ण🌿🌹


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