शान्तितुल्यं तपो नास्ति न
शान्तितुल्यं तपो नास्ति न संतोषात्परं सुखम् ।
न तृष्णया: परो व्याधिर्न च धर्मो दया परा: ||
शांति के समान कोई तप नही है, संतोष से श्रेष्ठ कोई सुख नही, तृष्णा से बढ़कर कोई रोग नहीं और दया से बढ़कर कोई धर्म नहीं ।
🌞सुप्रभातम् 🌞🌞
💐आपका दिन मंगलमय हो💐
🌹🌹ॐ🌹🌹