Har shama bujhi rafta rafta..
har khawab luta dheere dheere….
sheesha na sahi pathar hi sahi….
dil toot gaya dheere dheere…
ना जाने क्यों वो हमसे मुस्कुरा के मिलते हैं,
अन्दर के सारे गम छुपा के मिलते हैं,
जानते हैं आँखे सच बोल जाती हैं,
शायद इसी लिए वो नज़र झुका के मिलतें हैं ..
ना किसी से ईर्ष्या,
ना किसी से कोई होड़,
मेरी अपनी मंजीले,
मेरी अपनी दौड़!!
बेले के परिमल से परिमण्डल
नहाया प्रांजल हवा सुरभित है
नभमंडल भोरें नें कलियों सें
पीयूष पुंज चुराया…..
जहां देखुँ सामने नजर आती हो तुम,
प्यार की परछाईयों से हमेशां याद आती हो तुम,
मेरे ख्वाबों की दुनियाँ में रहती हो तुम,
मेरे पास आ के मुस्कुराती हो तुम,
महोब्बत की इन राहों में आ के तडपाती हो तुम,
प्यार हमें दे कर दुर चली जाती हो तुम..
हक़ीक़त ना सही तुम ख़्वाब की तरह मिला करों
भटके हुएँ मुसाफिर को चांदनी रात की तरह मिला करो !
बर्बाद होगा ये गरीब दोनों पहलूँ में
मेरे कच्चे घर पर तुम बरसात की तरह मिला करों !
हलक-हलक जिक्र आएं हर सांस में तेरा
एक दफा तुम मुझको उस मुलाकात की तरह मिला करों !
वक्त-बे-वक्त आ जाएँ राज भले ही सताने मुझको
तुम हिचकियों के सिलसिलों में याद की तरह मिला करों !
हक़ीक़त ना सही तुम ख़्वाब की तरह मिला करों
भटके हुएँ मुसाफिर को चांदनी रात की तरह मिला करों !