Barbaad Huyi Mohabbat Ko Kabhi Dhoka Na Kaho,
Mohabbat Ko Duniya Me Kabhi Ruswa Na karo,
Jisko Kabhi Dil Me Basaya Tha,
Us Dilbar Ko Kabhi Bewafa Na Kaho.
चाँदनी रातों में कुछ भीगे ख्यालों की तरह,
मैने चाहा है तुम्हें दिन के उजालों की तरह,
गुजरे थे जो कुछ लम्हें तुम्हारे साथ,
मेरी यादों में चमकते हैं वो सितारों की तरह
किस से सीखू मैं खुदा की बंदगी,
सब लोग खुदा के बँटवारे किए बैठे है,
जो लोग कहते है खुदा कण कण में है,
वही मंदिर, मस्जिद, गुरूद्वारे लिए बैठे हैं !
Kuchh meetha sa nasha tha usaki baaton me..
waqt bitata gaya aur hum adi ho gaye
ऐ दोस्त तेरी दोस्ती पर नाज़ हैं,
हर वक्त मिलने की फरीयाद करते हैं,
हमें नहीं पता घर वाले बताते हैं,
हम निंद में भी आपसे बात करते हैं
शबनमी लबो की तेरे,एक दिन चुराऊँगा मैं…
ज़ुल्फ़ों को तेरी साया,एक दिन बनाऊंगा मैं…
हिफाज़त करूँगा तेरी,जब तक है सांसे बाकि…
तुझे चाहता हूँ कितना,एक दिन बताऊंगा मैं…
जागते हैं जैसे,रात रात भर हम…
नींदे तेरी आँखों से भी एक दिन उड़ाऊंगा मैं…
छुपा ले कितना भी,अंचल में तू चेहरे को…
घूँघट यह तेरा,एक दिन उठाऊंगा मैं…
रहूँगा साथ तेरे,दुनिया हो चाहे दुश्मन…
दीवानगी है कितनी,एक दिन दिखाऊंगा मैं….
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